रीवा के सरकारी अस्पतालों में अमानक दवाइयों का जाल! मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़
रीवा जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। संभाग के सबसे बड़े अस्पतालों में, जहां मरीजों की ज़िंदगी बचाने के लिए हर दवाई का असरदार होना जरूरी है, वहां अब अमानक दवाओं की सप्लाई हो रही है। जी हां, ये कोई अफवाह नहीं बल्कि श्याम शाह मेडिकल कॉलेज और संजय गांधी अस्पताल जैसे नामी संस्थानों के डॉक्टरों का खुद का आरोप है कि इन अस्पतालों में जो दवाइयां पहुंच रही हैं, वो मानकों पर खरी नहीं उतर रही हैं। गुरुवार को विरोध का पहला चरण देखा गया, जब डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर अपना असंतोष जाहिर किया। और अब शुक्रवार से श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर पूरी तरह से लामबंद हो गए हैं। इन डॉक्टरों का कहना है कि अमानक दवाओं से इलाज करने का मतलब है मरीजों की जान से खिलवाड़। सवाल यह है कि आखिर किसकी लापरवाही या मिलीभगत से ये घटिया दवाइयां अस्पताल तक पहुंच रही हैं?
सवाल सिर्फ एक नहीं है। क्या अस्पताल प्रशासन को इन दवाइयों की गुणवत्ता की जानकारी नहीं है....? और अगर है, तो फिर इन दवाओं की सप्लाई रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं.....? सुपर स्पेशलिटी अस्पताल", जिला चिकित्सालय और अन्य सरकारी संस्थानों में भी यही हालात हैं। मरीजों को दी जा रही ये दवाइयां न केवल बेअसर हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए खतरा भी बन सकती हैं। अमानक दवाओं से जुड़े खतरे.. इलाज में देरी, दवाओं का बेअसर रहना, साइड इफेक्ट्स का खतरा, मरीज की जान का जोखिम।
अब सबसे बड़ा सवाल उठता है—क्या सरकार और प्रशासन इस गंभीर लापरवाही पर सख्त कदम उठाएंगे....? क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा......? डॉक्टरों का संघर्ष अब सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि हर उस मरीज की लड़ाई बन चुका है, जिसकी जान इन अमानक दवाओं की वजह से खतरे में है।अगर अब भी जिम्मेदार चुप रहे, तो यह साफ हो जाएगा कि मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार ने इस सिस्टम को अंदर तक खोखला कर दिया है।
इनका कहना है.... वरिष्ठ डॉक्टर पुष्पेंद्र शुक्ला! हम लंबे समय से इस अमानक दवा सप्लाई का विरोध कर रहे हैं। इन दवाओं से मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा। ये सीधे तौर पर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर हमला है। जब तक स्थिति नहीं सुधरती, हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।
एक मरीज के परिजन की प्रतिक्रिया! हम यहां इलाज के लिए आए हैं, लेकिन दवाइयों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा। अगर डॉक्टर भी कह रहे हैं कि दवाइयां सही नहीं हैं, तो हमें यहां सुरक्षित इलाज कैसे मिलेगा?
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