सराफा बाजार की लूट पर कोई नियंत्रण नहीं, शुद्धता के नाम पर ठगे जाते हैं ग्राहक
सराफा के क्षेत्र में सोने चांदी के आभूषणों के लेन-देने में जिस तरह की महालूट हो रही है उसके खिलाफ किसी भी एजेंसी का ध्यान नहीं है। स्थिति तो यह है कि जब कोई आभूषण खरीदना होता है तो उसके भाव में हालमार्क का प्रभाव होता है। किन्तु वही अभूषण जब सराफा में बिक्री किया जाता है तो वह उसका कोई रेट नहीं होता, कोई नियम नहीं होता। तब हालमार्क का कोई नियम लागू नहीं होता। खरीदी के समय जो आभूषण 24 कैरेट का बताया जाता है वह पुराना होने के बाद मिलावटी कैसे हो जाता है। यह घटिया कैसे हो जाता है यह बात समझ से बाहर है। दुकानों में भी इस तरह के निर्देश नहीं लिखे होते कि वापसी के समय पर हालमार्क के नियमों के अनुसार कितने प्रतिशत बट्टा काटा जायेगा। यही कारण है सराफा में खरीदें पर बिक्री को लेकर व्यापक पैमाने पर मनमानी हो रही है। सराफा व्यापारी गाहक को खरीदते समय भी लूटता है और बिक्री करते समय भी। इस तरह से दोनो तरफ से लूटने का काम किया जाता है।
बिना हाल मार्क के आभूषणों का कोई भरोसा नहीं, फिर भी बिक्री
-कहते हैं कि पिछले दो सालों में सोने चांदी के आभूषणों की बिक्री में हाल मार्क लागू हो चुका है। इसका मतलब यह है कि आज जिस भाव में कोई आभूषण क्रय किया जायेगा बाद में कभी भी उसे यदि बिक्री किया जायेगा तो उस तारीख रेट में उसे व्यापारी को खरीदना होगा। किन्तु कई व्यापारी अभी भी हालमार्क का या तो मतलब नहीं समझते अथवा वे जानबूझकर बिना हालमार्क वाले आभूषणों की बिक्री कर रहे हैं। यही कारण है कि अशुद्ध एवं अधिक मात्रा में मिलावट करके वे उसे 22 और 23 कैरेट का बताकर ग्राहकों को बिक्री करने में सफल हो जाते हैं। इधर कई ग्राहकों को भी अभी हालमार्क का मतलब पता नहीं है। वह तो यही जानता हे कि बाजार में सोने चांदी के आभूषणों को खरीदना है तो उसकी कीमत के आधार पर वह अपनी सहमति व्यक्त करता है। जो रेट बाजार में बता दिया जाता है यदि उसकी क्षमता है तो वह खरीद लेता है। वह इस बात का पता लगाने का प्रयास नहीं करता है कि वह जो आभूषण क्रय कर रहा है उसकी शुद्धता कितनी है। उसके शुद्धता की गारंटी क्या है और बाद में उरस्की कीमत क्या होगी।
विशेष अवसरों पर छूट के नाम पर होती है लूट
यह भी देखा जाता है कि विशेष अवसरों पर सराफा बाजार में छूट के नाम पर भी भारी भरकम लूट की जाती है। भारी छूट का सपना दिखाकर आभूषणों की बिक्री की जाती है। जहां ग्राहक को लगता है कि त्यौहार है इसलिये छूट मिल रही है। कई बार शादी विवाह के सीजन में भी इस तरह की छूट के नाम पर ग्राहकों को लूटा जाता है। किन्तु इस तरह की दुकानदारी के पीछे व्यापारी का उद्देश्य ग्राहकों को लूटना ही होता है। किन्तु वह खरीदी के समय कुछ समझने या परखने के बजाय लुटने के लिये मजबूर हो जाता है। शुद्धता के साथ खिलवाड़ एवं मिलावट में हो रहे खोल के कारण सराफा बाजार में कई ऐसे व्यापारी हैं जो देखते ही देखते बड़े आसामी बन गये। किन्तु उनके खिलाफ कभी कोई एजेंसी जांच नहीं कर
पाई। कभी इस बात की भी जांच नहीं होती कि सोने चांदी के कारोबार में कौन सा कारोबारी एक नम्बर व दो नम्बर का कितना खेल कर रहा है। इसलिये ऐसे कारोबारी ग्राहकों को लूटकर मालामाल होते रहते हैं।
हालमार्क के नाम पर बड़ा खेल
बाजार में भले ही कई व्यापारी हालमार्ग लगी हुई ज्वेलरी बिक्री कर रहे हों किन्तु उसकी शुद्धता को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। पता तो गह भी चल रहा है कि कई व्यापारी नकली हालमार्क लगाकर भी ज्वेलरी की बिक्री कर रहे हैं। ज्वेलरी के किसी छोटे पार्ट का हालमार्क करवाकर भी बड़ा खेल किया जाता है। यह बताने का प्रयास किया जाता है कि पूरी ज्लेलरी ही हालमार्क वाली है। कायदे से हालमार्क की ज्वेलरी पर वर्ष, बीआईएस का लोगो, हालमार्किंग सेन्टर का लोगो, दुकानदार का रजिस्ट्रेशन नम्बर तथा शुद्धता का दर्ज होनी चाहिये। किन्तु यहां जो हालमार्क के नाम पर आभूषणों की बिक्री होती है उसे देखकर कोई जान ही नहीं सकता कि उसमें ऐसा कुछ साफ साफ अंकित है। इसलिये हालमार्क को लेकर भी संदेह किया जाना स्वाभाविक है। यह भी सही है कि छोटे शहरों में हालमार्किंग के सेन्टर भी नहीं होते। बल्कि ऐसे सेन्टर भी बड़े-बड़े शहरों एवं महानगरी में होते हैं। जहां की गतिविधियों को भी आम जनता एवं ग्राहकों को पत्ता नहीं होता कि हालमार्किंग करने में कितनी शुद्धता परखी जा रही है। ग्राहक यह भी नहीं जानता कि 18 कैरेट, 22 कैरेट एवं 14 कैरेट का मतलब क्या होता है !
संवाददाता : आशीष सोनी
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